अमेरिका में उम्मीद की किरण बनी रेमडेसिवीर (Remdesivir) दवा इलाज के लिए मिली मंजूरी।
विश्व में तेजी से फ़ैल रहे कोरोना संक्रमण के बीच अमेरिका से एक गुड़ न्यूज़ सामने आ रही है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए अमेरिका में पिछले कई दिनों से एंटी वायरल दवा रेमडेसिवीर (Remdesivir) का ट्रायल चल रहा था। जिसके 50 फीसदी परिणाम सकारात्मक रहे थे। जिसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में दवा को लेकर एक मीटिंग का आयोजन किया था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि US फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के तहत रेमडेसिवीर (Remdesivir) दवा को अमेरिका में कोरोना संक्रमित रोगियों के इलाज हेतु आपातकालीन चिकित्सा हेतु मंजूरी प्रदान की जा रही है।
बता दें कि इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना संक्रमित रोगियों के इलाज हेतु मलेरिया कि दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) को इलाज के लिए मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर मदद मांगी थी। जिसके बाद भारत द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर कई तरह की विशेष छूट दी गयी थी। भारत द्वारा संकट के समय में मदद करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम कार तारीफ भी करी थी। हालांकि US फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा कोरोना के इलाज में कारगर साबित होगी इस बात की पुष्टि नहीं की थी।
#BREAKING US approves Gilead’s remdesivir drug for coronavirus patients, says Trump pic.twitter.com/xrMe3AYhSA
— AFP news agency (@AFP) May 1, 2020
गौरतलब है कि अमेरिकी सरकार द्वारा रेमडेसिवीर (Remdesivir) दवा को आपतकालीन इलाज हेतु मंजूरी मिलने के बाद, दवा बनाने वाली अमेरिकी फार्मा कंपनी गिलेड साइंसेज के चीफ एग्जिक्यूटिव डैनियल ओडे ने कहा है कि यह सरकार द्वारा उठाया गया अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। उन्होने कहा कि कंपनी द्वारा अमेरिका में कोरोना संक्रमित पीड़ितों कि जाँच हेतु दवा कि 15 लाख बॉटल दान में देगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक Gilead फार्मा द्वारा निर्मित रेमडेसिवीर दवा को भले ही कोरोना संक्रमण के इलाज हेतु निर्मित नहीं किया गया था, लेकिन इससे संक्रमित व्यक्तियों को फायदा हो रहा हो। वैज्ञानिकों के मुताबिक अभी इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स पर रिसर्च होने की ज़रुरत है। इससे पहले जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक क्रिटिकल अवस्था में पहुंच गए मरीजों के लिए दूसरी दवाओं के साथ मिलाकर इसका इस्तेमाल काफी फायदेमंद साबित हुआ है। यह भी जानकारी सामने आयी है कि इस दवा का प्रयोग जिन रोगियों के ऊपर हुआ उन्हें 14 दिन कि जगह 11 दिन के अंदर ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी।
बता दें कि अमेरिका विश्व का पहला ऐसा देश बन गया है जो कोरोना वायरस के दंश से सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। अमेरिका में ताजा जानकारी के मुताबिक अभी तक 1,131,492 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और मरने वालों का आंकड़ा 65,776 के पार पहुंच गया है। वहीं अब तक 161,563 लोग पूर्णतः स्वस्थ्य हो चुके हैं।
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