Health

भारत में बनी ग्लेनमार्क की फेविपिरविर दवा फैबिफ्लू को DGCI ने दी कोविड-19 के उपचार के लिए मंजूरी।

विश्व में कोरोना महामारी के प्रसार के साथ ही, विश्व के सभी देशों में शोधकर्ताओं ने इसकी वैक्सीन तैयार करने के लिए दिन रात एक कर दिया। शोधकर्ताओं का यह प्रयास अब सार्थक होता नजर आने लगा है। इस समय विश्व के कई देशों से कोरोना वैक्सीन को लेकर सकारात्मक खबरे मिल रही हैं। ऐसे में हमारे देश भारत से कोरोना वैक्सीन को लेकर सकारात्मक खबर सामने आयी है। भारत की एक फार्मा कम्पनी ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने एंटी वायरल ड्रग फेवीपिरवीर को मामूली और मध्यम रूप से संक्रमित कोरोना पीड़ितों के इलाज के लिए सक्षम बताया है। ग्लेनमार्क कम्पनी ने इस एंटी वायरल ड्रग फेवीपिरवीर को फैबिफ्लू (Fabi Flu) नाम से मार्केट में उतारा है। मुंबई की ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने बताया कि उसे भारतीय औषधि महानियंत्रक (DGCI) से दवा के विनिर्माण और विपणन के लिए अप्रूवल मिल गया है। कम्पनी के मुताबिक ग्लेनमार्क की फैबिफ्लू (Fabi Flu) कोविड-19 के उपचार के लिए पहली खाने वाली फेविपिरविर दवा है।

ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स की फैबिफ्लू (Fabi Flu) –

ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स के मुताबिक फेविपिरविर फैबिफ्लू (Fabi Flu) की 34 टैबलेट की स्ट्रिप के लिए मैक्सिमम रिटेल प्राइस 3,500 रुपये तय की गई है। यह दवा 200 एमजी के टैबलेट में उपलब्ध होगी और इसकी कीमत 103 रुपये प्रति टैबलेट होगी। ग्लेमार्क फार्मास्युटिकल्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ग्लेन सल्दान्हा ने कहा, ‘यह मंजूरी ऐसे समय मिली है जबकि भारत में कोरोना वायरस के मामले पहले की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली काफी दबाव में है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि फैबिफ्लू जैसे प्रभावी इलाज की उपलब्धता से इस दबाव को काफी हद तक कम करने में मदद मिलेगी।
डीसीजीआई (DGCI) ने एंटीवायरल ड्रग फेविपिरविर फैबिफ्लू को मंजूरी मिलने के बाद से कम्पनी भारत के 10 प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों से नामांकित 150 मरीजों के साथ फेविपिरवीर के चरण 3 नैदानिक ​​परीक्षणों की तैयारी कर रहा है।

इन मरीजों को दी जाएगी दवा –

कोरोना वायरस के ट्रीटमेंट के लिए प्रयोग में लाए जाने वाली इस दवा को डीसीजीआई द्वारा अभी सिर्फ इमरजेंसी सिचुएश में ही प्रयोग किये जाने की अनुमति मिली है। कोरोना वायरस के उपचार के लिए भारत में बनी यह पहली मौखिक रूप से खाये जाने वाली दवा है। इस दवा का प्रयोग सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर किया जायेगा। जिसकी कीमत 103 रुपये प्रति टैबलेट होगी। पहली बार में इसकी 1800 एमजी की दो खुराक लेनी होगी। उसके बाद 14 दिन तक 800 एमजी की दो खुराक लेनी होगी। कम्पनी के मुताबिक दवा निर्माण का कार्य हिमाचल प्रदेश के बद्दी में किया जा रहा है। कम्पनी के मुताबिक वह इसके उत्पादन के पहले चरण में 82,500 मरीजों के लिए फेविपिरविर फैबिफ्लू उपलब्ध करा पाएगी। कंपनी ने कहा, ‘हमारी स्थिति पर निगाह है और स्थिति के अनुसार कंपनी देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के हिसाब से उत्पादन बढ़ाएगी।

अब तक ये देश कर चुके हैं कोरोना वायरस की दवा बनाने का दावा –

पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने किया कोरोना वायरस की दवा बनाने का दावा।

अमेरिका में उम्मीद की किरण बनी रेमडेसिवीर (Remdesivir) दवा इलाज के लिए मिली मंजूरी।

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