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जानिए क्या है ऑयल पुलिंग पद्धति और इससे होने वाले स्वास्थ लाभ के बारे में।

ऑयल पुलिंग पद्धति का प्रयोग आयुर्वेद में प्राचीन काल से मुँह की सफाई के लिए किया जाता है। ऑयल पुलिंग का प्रयोग मुँह की दुर्गंध, दातों की सड़न, मसूड़ों से खून निकलना और मुँह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया की सफाई के लिए किया जाता है। इस पद्धति में ऑयल को मुँह में डाल कर कुछ देर तक हिला कर कुल्ला करना होता है। ऑयल पुलिंग को तेल का कुल्ला करना, ऑयल स्विसिंग थेरेपी और कवलग्रह के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के मुताबिक ऑयल पुलिंग एक ऐसा हर्बल और प्राकृतिक उपाय है जिसको अपनाकर मुँह से संबंधित अनेक प्रकार की बिमारियों से निजाद पाया जा सकता है। ऑयल पुलिंग पद्धति अपनाने के लिए आप तिल, सूरजमुखी और नारियल के तेल का उपयोग कर सकते हैं।
आईये जानते हैं ऑयल पुलिंग पद्धति को अपनाकर कैसे मुँह की अनेक प्रकार की समस्याओं से छुटकरा पाया जा सकता है।

ऑयल पुलिंग पद्धति
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Contents

ऑयल पुलिंग पद्धति का तरीका –

कैसे करते हैं ऑयल पुलिंग –

आयुर्वेद के अनुसार ऑयल पुलिंग करने का सबसे उपयुत्क समय होता है सुबह उठ कर निहार मुँह। इस पद्धति को करने के लिए सबसे पहले पालथी मार कर बैठ जाएँ, अब तिल का तेल, सूरजमुखी या नारियल इनमें से कोई भी तेल एक चम्मच ले कर अपने मुँह में डाल लीजिये और कम से 10 से 15 मिनट तक अपने मुँह में घूमाते रहें। कुछ समय बाद आपको ये अहसास होने लगेगा की मुँह में मौजूद तेल अब पतला होने लगा है तब आप इसे थूक दीजिये इसका रंग हल्का दूधिया हो जाता है। इसके बाद ब्रश करें और कुल्ला कर के मुँह साफ कर लें। इस पूरी प्रकिया के दौरान आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि यह प्रकिया अपनाने के दौरान गलती से भी ऑयल आपके मुँह के अंदर ना चला जाये। इसके अलावा 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को यह प्रकिया नहीं अपनानी चाहिए।

ऑयल पुलिंग करने के लाभ –

अच्छी सेहत के लिए आयल पुलिंग –

मुँह और दाँतों की समस्या में सुधर के अलावा ऑयल पुलिंग के कई अन्य सव्स्थ्य लाभ भी हैं। रेगुलर इसका उपयोग करके आप पहले की तरह जवान दिखने लगते हैं। यह आपके दिमाग की क्षमता बढ़ाने का कार्य करता है। इसका प्रयोग  आपकी टेस्टबड में भी सुधार लाने का काम करता है। यह हमारे मुँह में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। इसका प्रयोग करने से आँखों से संबंधित समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा इसका प्रयोग अस्थमा, डायबटीज जैसी बिमारियों में भी लाभप्रद माना जाता है।

करे हानिकारक बैक्टीरिया से मुकाबला –

ऑयल पुलिंग का प्रयोग कर के आप अपने शरीर में मौजूद हानिकर बैक्टीरिया से भी निजाद पा सकते हैं ऐसा इसलिए सम्भव हो पाता है क्योकिं इस प्रक्रिया में उपयोग में लाये जाने वाला तिल, नारियल, सूरजमुखी इन सभी का तेल प्राकृतिक रूप से एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। यह आपके मुँह की सफाई तो करता ही है इसके आलावा दातों से संबंधित परेशानियों को भी दूर करने का काम करता है।

मुँह की दुर्गंध हटाए –

दातों की सडन, मसूडों की समस्या आदि मुँह की दुर्गंध का कारण बनाते हैं और हमसे से अधिकतर लोग मुँह की दुर्गंध की समस्या से परेशान रहतें हैं। आयल पुलिंग पद्धति में प्रयोग किये जाने वाले सभी ऑयल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं जो कि मुँह की दुर्गंध हटाने का काम करते हैं और सांसों में ताजगी दिलाने का काम करते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक मुँह की दुर्गंध और हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने में यह तकनीक क्लोरहेक्सिडिन माउथवाश के समकक्ष ही।

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कैविटी हटाए –

इस पद्धति में उपयोग किये जाने वाले सभी तेल प्राकृतिक रूप से एंटीबैक्टीरियल,एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुणों से भरपूर होते हैं। इनके गुण मुँह के हानिकर बैक्टीरिया से लड़ने में सहायक होते हैं। यह दातों को सड़ने से बचाने और दातों में होने वाली कैविटी की समस्या को दूर करने में सहायक होते हैं। इसका प्रयोग करना दांतो और मसूडों दोनों के लिए अत्यंत लाभप्रद होता है।

मुँह की ड्रायनेस को दूर करे –

मुँह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया के कारण मुँह में सही तरिके से लार का न बन पाना, नाक बंद होने की समस्या के चलते मुँह से साँस लेना या डायबटीज की स्थिति के चलते मुँह में ड्रायनेस का रहना। इन सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा सॉल्यूशन है नियमित रूप से ऑयल पुलिंग तकनीक को अपनाना। इसका प्रयोग करने से आपके मुँह में अच्छी खासी नमी बनी रहती है।

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दाँतों की सड़न हटाए –

आयल पुलिंग में प्रयोग में लाये जाने वाले सभी तेल हमारे दातों के लिहाज से अत्यंत स्वास्थ्यप्रद होते हैं, इनमें पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल गुण दातों की सभी प्रकार के हानिकर बैक्टीरिया से रक्षा करते हैं जिसके परिणाम स्वरूप दांत मजबूत होते हैं और सड़न की समस्या से दूर रहते हैं। एक शोध के मुताबिक लगातार 30 से 40 दिन इस पद्धति को अपनाने से मुँह के हानिकारक बैक्टीरया की मात्रा में कम से कम 20% तक की कमी देखी गयी है।

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त्वचा के लिए –

आयल पुलिंग का प्रयोग करना हमारी त्वचा के लिए बेहतर माना जाता है। इसके प्रयोग से पिम्पल्स की समस्या भी दूर होती है, इसके आलावा इसमें प्रयोग में लाये जाने वाले सभी तेल में विटामिन इ भी पाया जाता है जो कि हमारी त्वचा के लिहाज से काफी फायदेमंद साबित होता है। यह त्वचा को मॉइस्चराइज करने के साथ त्वचा में ग्लो और चमक लाने का काम भी करता है।

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