जानिये क्या है बवासीर पाइल्स की बीमारी, इसके प्रकार और बचाव के तरीके ?
बवासीर पाइल्स की बीमारी काफी तकलीफ देने वाली होती है। बवासीर को अंग्रेजी भाषा में पाइल्स भी कहा जाता है। ये रोग बहुत ही खतरनाक बीमारियों में गिना जाता है। ये रोग मुख्यतः चार प्रकार का होता है पहला आंतरिक, बाहरी, प्रोलेप्सड और खूनी बवासीर ये बीमारी कई कारण से हो सकती है जैसे कि ये बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है या कोई और कारण जैसे गलत खाना-पान, अत्यधिक तला भुना, अत्यधिक मिर्च मसाले युक्त भोजन करने से भी ये बीमारी पनप सकती है। बवासीर पाइल्स का मुख्य कारण मलाशय और गुदों की वाहिनिया में सूजन होती है।
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बवासीर पाइल्स के प्रकार –
आतंरिक पाइल्स –
इस प्रकार के पाइल्स में गूदे के अंदर काफी सारे मस्से हो जाते हैं नित्य क्रिया करते समय जब जोर लगता है तो काफी तकलीफ के साथ साथ असहनीय दर्द होता है ज्यादातर मामलों में ये अपनेआप ही ठीक हो जाते हैं।
बाहरी पाइल्स –
इस प्रकार के बवासीर में गूदे के बाहरी हिस्से में गांठ जैसी संरचना उभर जाती है। मनुष्य को नित्यक्रिया के दौरान मलत्याग में दर्द का भी अनुभव महसूस होता है। इस प्रकार के बवासीर में गुदा में बनी ये गांठ समय के साथ और तकलीफदेह बनती जाती है।
प्रोलेप्सड पाइल्स –
इस प्रकार के बवासीर में गूदे के अंदर बनी गांठ अत्यधिक कब्ज, पेट साफ न होना, गलत खान पान के कारण सूजने लगती है और गूदे से बहार निकल जाती है जो कि किसी भी व्यक्ति के लिए अत्यंत पीड़ादायक हो सकती है।
खूनी पाइल्स –
खूनी बवासीर को आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के बवासीर की जटिलता के रूप में समझा जा सकता है। इस प्रकार के बवासीर में मलत्याग के समय मल के साथ खून भी निकलने लगता है ऐसी स्तिथि में बिना समय गवांये किसी अच्छे डाक्टर से मिलें।
क्या आप भी रहते हैं कब्ज (पेट साफ ना होना) की समस्या से परेशान ?
बवासीर पाइल्स के लिए जिम्मेदार कारण –
* मोटापे के कारण.
* अनुवांशिकता के कारण.
* उम्र बढ़ने के कारण भी के बार बबासीर का सामना करना पड़ सकता है.
* क्बज और दस्त का लम्बे समय तक चलने से.
* टॉयलेट शीट में अधिक समय तक बैठने से.
* मल त्यागने के समय जोर लगाने से.
* फास्टफूड और जंक फूड का अत्यधिक सेवन.
* हमेशा बहुत ज्यादा मिर्च मसालेदार भोजन के कारण.
* अत्यधिक तैलीय भोजन के कारण.
बवासीर से बचने के तरीके –
- समय समय पर पानी पीते रहे.
- समय पर मल त्यागें इसको अनदेखा न करे.
- ज्यादा मिर्च वाले खाने से परहेज करे.
- पौष्टिक सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें.
- व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाए.
इस सभी बातों को ध्यान में रखें और इनके लक्षणों को अनदेखा न करें और अगर अधिक परेशानी हो तो किसी अच्छे चिकित्सक से परामर्श लें.
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