59 साल बाद महाशिवरात्रि 2020 में बन रहा बेहद खास योग, ऐसे प्राप्त करें भगवान शिव का आशिर्वाद।
महाशिवरात्रि 2020 इस बार है और भी खास, जी हाँ 59 साल बाद महाशिवरात्रि 2020 में बन रहा है बेहद खास योग। तकरीबन 59 साल बाद बन रहा यह खास योग साधना सिद्धि के लिहाज से बेहद खास होने वाला है। यह एक शश योग होगा, इस दिन इस दिन पांच ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति भी होगी। इस खास योग के दौरान शनि व चंद्र मकर राशि में रहेंगे, गुरु धनु राशि में रहेगा और बुध कुंभ राशि तथा शुक्र मीन राशि में रहेंगे। आज से 59 साल पहले भी वर्ष 1961 में ठीक ऐसा ही योग बना था। इस दौरान दान-पुण्य करने का भी विधान है।
59 साल बाद महाशिवरात्रि 2020 के इस पावन पर्व पर बन रहे खास योग के दौरान जितना हो सके खुले दिल और साफ मन से दान कीजिये। साधु संतों और गरीबों को वस्त्र और अन्न दान कीजिये और निस्वार्थ भावना से सबको भोजन करवाइये। अपने आस पास मौजूद गौ माता (गाय) को हरा चारा खिलाएं। पक्षियों को दाना डालें और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाकर माता पार्वती और भगवान शिव का आश्रीवाद ग्रहण करें।
Contents
कब है महाशिवरात्रि 2020 – When is Mahashivratri 2020
महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि सन 2020 यानि कि इस साल फरवरी माह की 21 तारिक को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।
महाशिवरात्रि 2020 शुभ मुहूर्त – Maha Shivaratri 2020 auspicious time
आरंभ – 21 फरवरी, शुक्रवार को शाम 5 बजकर 20 मिनट से।
समापन – 22 फरवरी, शनिवार को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक।
रात्रि प्रहर पूजा मुहूर्त – शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक।
क्यों खास है महाशिवरात्रि 2020 – Why Mahashivratri 2020 is special
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वर्ष 2020 की शिवरात्रि बेहद ही खास होने वाली है। 59 साल बाद महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बन रहे इस शश में सर्वार्थसिद्धि का भी संयोग भी बन रहा है। जो की माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ और उत्तम दिन रहेगा।
महाशिवरात्रि 2020, राशि के अनुसार ऐसे करें महादेव की आराधना ! मिलेगा शिवजी का आशीर्वाद।
साधना के लिहाज से भी है खास –
तकरीबन 59 साल बाद बन रहा यह विशेष योग साधना के लिहाज से भी खास होने वाला है। ज्योतिषशास्त्र में साधना के लिए तीन रात्रि विशेष मानी जाती है। जिनमें शरद पूर्णिमा को मोहरात्रि, दीपावली को कालरात्रि तथा महाशिवरात्रि को सिद्ध रात्रि कहा जाता है। इस बार महाशिवरात्रि पर चंद्र शनि की मकर में युति के साथ शश योग बन रहा है। आमतौर पर श्रवण नक्षत्र में आने वाली शिवरात्रि व मकर राशि के चंद्रमा का योग ही बनता है। इस बार 59 साल बाद शनि के मकर राशि में होने से तथा चंद्र का संचार अनुक्रम में शनि के वर्गोत्तम अवस्था में शश योग का संयोग बन रहा है। चूंकि चंद्रमा मन तथा शनि ऊर्जा का कारक ग्रह है। यह योग साधना की सिद्धि के लिए विशेष महत्व रखता है। चंद्रमा मन तथा शनि ऊर्जा का कारक ग्रह है। यह योग साधना की सिद्धि के लिए विशेष महत्व रखता है। चंद्रमा को कला तथा शनि को काल पुरुष का पद प्राप्त है। ऐसी स्थिति में कला तथा काल पुरुष के युति संबंध वाली यह रात्रि सिद्ध रात्रि की श्रेणी में आती है।
महाशिवरात्रि पूजा विधि – Mahashivratri Puja Vidhi
पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर संन्ना करने फिर भगवान शिव को पंचामृत से स्नान करवाएं। भगवान शंकर को केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं और चांडक का तिलक लगा कर अभिषेक करें। इसके बाद तीन बेलपत्र, भांग, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिठाई, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं। महाशिवरात्रि के दिन शिव पुराण और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
महाशिवरात्रि व्रत के दौरान ना करें ये गलतियाँ, जाने व्रत के दौरान क्या खाएं क्या नहीं।
दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी तो कृप्या अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों के साथ शेयर जरूर करें.
ऐसी रोचक जानकारिओं के लिए आज ही हमसे जुड़े :- Instagram
Facebook
Twitter
Pinterest