
कोरोना वायरस के कारण विश्व भर में हुए लॉकडाउन का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा है। विश्व भर में लॉकडाउन के कारण आयी आर्थिक तंगी के चलते कई लोग बेरोजगार हुए तो कई लोगों के काम बंद होने के कारण उन्हें काफी नुकसान हुआ। इन्हीं सब कारणों के चलते लॉकडाउन के दिनों में डिप्रेसन के मामलों में अच्छा खासा इजाफा देखने को मिला है। लॉकडाउन के कारण पुरुष, महिलाओं और बुजर्गों पर मानसिक तनाव का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला है। हाल ही में एसेक्स विश्वविद्यालय में हुई एक स्टडी की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण हूए लॉकडाउन में महिलाएं अकेलेपन से अधिक पीड़ित हुई है। एसेक्स विश्वविद्यालय में कुछ अर्थशास्त्रियों द्वारा किये गए रिसर्च से पता चलता है कि कोरोनो वायरस के प्रकोप के बीच महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही रिसर्च में यह बात भी सामने आयी है कि लॉकडाउन में महिलाएं अकेलेपन का शिकार हुई हैं।

लॉकडाउन में महिलाएं हुई अकेलेपन का शिकार – Women more likely to suffer from lockdown loneliness
क्या कहती है स्टडी –
कोरोना महामारी के दौरान हुए इस अध्ययन के मुताबिक मानसिक स्वास्थ्य की परेशानियों से जूझ रहे लोगों की संख्या में 7% से 18% तक की बढ़ोतरी हुई है। विशेष कर महिलाओं की बात की जाए तो आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं। लॉकडाउन के कारण महिलाओं में मानसिक तनाव का प्रतिशत 11 से 27 फीसदी तक बड़ा है।
इस बारे में शोधकर्ताओं का मानना है कि लॉकडाउन के कारण महिलाओं में बढ़ रहे मानसिक तनाव का कारण घर के काम-काज के साथ-साथ बच्चों की जिम्मेदारी और ऑफिस का वर्क रहा है। वहीं इस स्टडी में यह बात निकल कर सामने आयी है कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं की तुलना में मात्र 23 फीसदी पुरुषों को अकेलेपन की समस्या का सामना करना पड़ा है। स्टडी के मुताबिक मात्र 6 प्रतिशत पुरुषों को लॉकडाउन के दौरान अकेलापन महसूस हुआ।
लॉकडाउन में महिलाओं पर बड़ी अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ –
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब महिलाओं के अकेलेपन को लेकर उनके ऊपर अध्ययन किया गया हो। इससे पहले भी महिलाओं के अकेलेपन को लेकर हुए अध्य्यन, इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि विश्वभर में महिलाओं पर घर के काम का प्रबंधन करने, अपने बच्चों और काम के प्रति प्रतिबद्धता का ख्याल रखने के लिए बहुत अधिक मानसिक स्ट्रेस बना रहता है। इस साल के शुरुआत में आयी मैकिन्से की एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाएं अपनी खुद की कार्य प्रतिबद्धताओं के बावजूद घर पर अधिक जिम्मेदारियां लेती हैं, जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। हालाँकि इसमें दोराय नहीं की विश्व भर में शिक्षित और नौकरीपेशा महिलाओं के आंकड़ों में वृद्धि हुए है। लेकिन इन सबके साथ साथ उन पर घर, परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियाँ भी बराबर भी हुई हैं। यही कारण है कि लॉकडाउन में महिलाएं अकेलेपन का अधिक शिकार रही हैं।
अब तक ये देश कर चुके हैं कोरोना वायरस की दवा बनाने का दावा –
पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने किया कोरोना वायरस की दवा बनाने का दावा।
अमेरिका में उम्मीद की किरण बनी रेमडेसिवीर (Remdesivir) दवा इलाज के लिए मिली मंजूरी।
जल्द खत्म हो सकता है कोरोना, इजरायल के बाद इटली ने किया कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने का दावा।
इजरायल का दावा! बन गयी कोरोना वैक्सीन जल्द ही खत्म होगा कोरोना वायरस।
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