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कोरोना वायरस: इम्‍यून‍िटी बूस्ट करे कबसुरा कुदिनेर (Kabasura Kudineer) का काढ़ा।

कबसुरा कुदिनेर (Kabasura Kudineer in hindi) का प्रयोग सिद्ध चिकित्सकों द्वारा बुखार, सर्दी और साधारण श्वसन रोगों का कारगर तरीके से उपचार हेतु किया जाता है। कबसुरा कुदिनेर को पारंपरिक तरीकों से तैयार किया जाता है। सिद्ध चिकित्सकों द्वारा इसका प्रयोग श्वसन से संबंधित से जुड़े लक्षणों जैसे गंभीर कफ, ड्राई और वेट खांसी और फ्लू से राहत पाने के लिए हर्बल काढ़े के रूप में किया जाता है। कबसुरा कुदिनेर में एनाल्जेसिक, एंटी-वायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट, हेपाटो-प्रोटेक्टिव, एंटी-पाइरेक्टिक, एंटी-फंगल, एंटी-एस्‍थमेट‍िक और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण मौजूद होते हैं। कबसुरा कुदिनेर (Kabasura Kudineer in hindi) पर हुई कई स्टडी की रिपोर्ट यह बताती हैं कि अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण यह श्वसन के दौरान श्वसन नलिका मार्ग में सूजन को कम करने में सहायक करता है। जबकि इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल औरएंटी-पाइरेक्टिक गुण बुखार को कम करने का कार्य करते हैं।

कबसुरा कुदिनेर
courtesy google

Contents

कबसुरा कुदिनेर (Kabasura Kudineer in hindi) –

यह एक पारम्परिक प्रसिद्ध सिद्ध दवा है जिसमें 15 हर्बल सामग्री मौजूद होती हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशिष्ट विशेषताएं होती हैं। यह फेफड़ों को हेल्दी बनाने, रेस्पिरेटरी तंत्र में सुधार लाने का कार्य करता है। इसके अलावा यह सर्दी, खांसी, बुखार और अन्य सांस से जुड़ी संक्रामक बिमारियों के इलाज के लिए व्यापक स्तर पर कार्य करता है। अपने उच्च चिकित्सीय गुणों के कारण फ्लू के रोग में इसका प्रयोग सफल रहता है।

कबसुरा कुदिनेर (Kabasura Kudineer in hindi) चूर्ण बनाने की विधि –

सामग्री –

Ginger (चुक्कु)

Piper longum (पिप्पली)

Clove (लवांगम)

Dusparsha (सिरुकनोरी वेर)

Akarakarabha (अकरकरा)

Kokilaksha (मुल्ली वर्)

Haritaki (कडुक्कैथोल)

Malabar nut (अडातोदाई इलाई)

Ajwain (कर्पूरवल्ली)

Kusta (कोस्तम)

Guduchi (सेंथिल थांडू)

Bharangi (सिरुथेक्कु)

Kalamegha (सिरुथेक्कु)

Raja pata (वट्टथिरुपि)

Musta (कोरई किजांगु)

Neer (पानी)

विधी –

* सभी जड़ी-बूटियों को सूखा कर पीसें और एक मोटा पाउडर तैयार करे।

* नमी से दूर रखने के लिए इन्हें धूप में सुखाएं।

* सूखे चूर्ण में पानी डालें और तब तक गर्म करें जब तक पानी इसकी शुरुआती मात्रा ¼ से 1/8 तक कम न हो जाए।

* मलमल के कपड़े का उपयोग कर इस जलीय काढ़े को छान लें।

* छाने हुए काढ़े को बनाने के बाद 3 घंटे के अंदर उपयोग करना आवश्यक है।

कितनी मात्रा में लें कबसुरा कुदिनेर

अपने चिकित्सक द्वारा निर्देशित या रोजाना दो बार 25-50 मिलीलीटर।

200 मिली पानी में 5-10 ग्राम चूर्ण डालें और इसे कम आंच में तब तक उबालें जब तक कि 50 मिली न रह जाए।

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