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देश तेजी से बढ़ रहे कोरोना प्रसार के बीच आइसीएमआर ने किया कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात को खारिज।

देश तेजी से बढ़ रहे कोरोना मामलों के बीच इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात को ख़ारिज कर दिया है। ज्ञात हो कि पिछले कुछ दिनों से देश में तेजी से रहे कोरोना के मामलों को लेकर दिल्ली सरकार ने चिंता व्यक्त करते हुए राजधानी दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात कही थी। हालाँकि आइसीएमआर ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन से भले ही इंकार कर दिया हो लेकिन आइसीएमआर ने इस बात के भी संकेत दिए कि ग्रामीण क्षत्रों की तुलना में शहरी घनी आबादी क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण प्रसार का खतरा पहले मुकाबले अधिक हो गया है।

कोरोना संक्रमण प्रसार की बात करें तो देश में अनलॉक के पहले चरण की शुरुआत कुछ अच्छी होती नहीं दिखाई दे रही है। जहाँ देशव्यापी लॉकडाउन 4.0 के दौरान देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार 7,5000 से 8,000 केस प्रतिदिन चल रही थी, वो अब बढ़ कर 10,500 से 11,000 केस प्रतिदिन तक पहुंच गयी है। देश में अब तक कुल 3 लाख से अधिक लोग वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 8,500 से अधिक लोगों की वायरस के कारण मौत हो चुकी है।
कोरोना की इस तेज रफ्तार को देखते हुए बीते कुछ दिनों से राजधानी दिल्ली समेत देश के कई अन्य क्षेत्रों से कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात सुनने को आ रही थी। जिस पर आइसीएमआर ने स्तिथि को स्पष्ट करते हुए बताया की देश में अभी कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन जैसे हालत नहीं बने हैं। आइसीएमआर के मुताबिक संक्रमण के कुछ बड़े कलस्टर के बावजूद यह अभी लोकल ट्रांसमिशन फेज तक सीमित है।

कोविड-19 की वर्तमान स्तिथि को स्पष्ट करते हुए इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि देश के 83 जिलों में 0.73% आबादी ही कोरोना वायरस से संक्रमित हुई है। इस लिहाज से देखा जाए तो इसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन कहना सही नहीं होगा। लेकिन यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि जिस सिरो सर्वे के नतीजों के तहत यह जानकारी दी गई है, वह रिपोर्ट लॉकडाउन के साढ़े पांच हफ्ते के बाद 30 अप्रैल तक की स्थिति है।

आइसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव के मुताबिक देश की आबादी का बड़ा हिस्सा अभी भी खतरे की जद में है, जिस कारण संक्रमण तेजी से फैल सकता है। उन्होंने बताया कि वायरस के संक्रमण के प्रसार का खतरा ग्रामीण क्षत्रों की तुलना में शहरी घनी आबादी वाले क्षेत्रों में कई गुना अधिक हो सकता है। ऐसे में हमें इलाज और दवाइयों के बचाव की सारी सावधानियां बरतने पर जोर देना होगा। राज्य सरकारों को स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लागू करना होगा। उन्होंने कहा कि कंटेनमेंट जोन में संक्रमण का स्तर बहुत ज्यादा पाया गया है।

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