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कैसे बाबा रामदेव की कोरोनिल बनी विवादित कोरोना वायरस दवा। पढ़े खास रिपोर्ट:

कोरोना वायरस का शत फीसदी इलाज करने वाली दवा बनाने के बाद से ही बाबा रामदेव और उनकी कम्पनी लगातार विवादों के घेरे में आ खडी हुई है। अपने लांच के महज कुछ घंटे बाद ही आयुष मंत्रायल ने कोरोना का शत प्रतिशत इलाज का दावा करने वाली विवादित दवा कोरोनिल के प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी थी। आयुष मंत्रालय ने विवादित दवा कोरोनिल को लेकर कहा था कि “यदि बिना वैज्ञानिक तथ्यों के इस दवा से इलाज के दावे का प्रचार-प्रचार किया गया तो उसे ड्रग एंड रेमेडीज कानून के तहत संज्ञेय अपराध माना जाएगा”।

आयुष मंत्रायल के इस कड़े रुख के बाद पतंजलि के सीईओ बालकृष्ण खुद सामने आये थे और उन्होंने कहा था “यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन व गौरव देने वाली है जो कम्युनिकेशन गैप था वह दूर हो गया है”। लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि कोरोनिल पर विवाद यहाँ खत्म हो चूका है। दवा को लेकर उत्तराखंड सरकार ने कहा कि पतंजलि को कोरोना दवा बनाने का लाइसेंस ही नहीं दिया गया था उन्हें सिर्फ सर्दी-जुकाम के लिए दवा बनाने का लाइसेंस दिया गया था। वहीं राजस्थान सरकार ने भी राज्य में स्थित NIMS यूनिवर्सिटी से पतंजलि आयुर्वेद द्वारा लॉन्च की गई दवा ‘कोरोनिल’ के क्लिनिकल ट्रायल को लेकर जवाब मांगा है। विवादित दवा कोरोनिल को लेकर बाबा रामदेव सहित 5 के खिलाफ धारा 420 के तहत जयपुर में भ्रामक प्रचार को लेकर FIR तक दर्ज हो चुकी है।

विवादित दवा कोरोनिल
courtesy google

कैसे शुरू हुआ दवा पर विवाद
दरअसल बीते 23 जून को पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से कोरोना वायरस के इलाज के लिए एक आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल को लॉन्च किया गया था। दवा को लॉन्च करते हुए यह बताया गया कि यह दवा कोरोना संक्रमितों के इलाज पर कारगर है। इसके प्रयोग से मरीजों की रिपोर्ट महज 7 दिन के पॉजिटिव से नेगेटिव हो गयी। दवा के बारे में यह भी क्लेम किया गया था कि इसके प्रयोग से हमें 100 फीसदी प्रभावी रिजल्ट मिले हैं।

क्यों बन गयी कोरोनिल विवादित दवा
बाबा रामदेव द्वारा कोरोना वायरस की दवा कोरोनिल को लॉन्च करने के कुछ समय बाद ही आयुष मंत्रायल द्वारा इस पर आपत्ति जताई गयी और तत्काल प्रभाव से इसके प्रचार प्रसार पर रोक लगाने के निर्देश जारी किये गए। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से दवा निर्माण में प्रयोग किये गए अवयवों के बारे में डिटेल से पूछा। साथ ही पतंजलि से इसकी टेस्टिंग की सारी जानकारी उपलब्ध करवाने को कहा गया। इसके अलावा कोरोनिल के क्लीनिकल ट्रायल के रजिस्ट्रेशन के बारे में भी पूछा गया।

क्या कहा आयुष मंत्री श्रीपद वाई नाइक ने
केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद वाई नाइक ने कहा कि यह अच्छी बात है, बाबा रामदेव ने कोरोना से लड़ने के लिए एक नई दवा दी। लेकिन नियम के मुताबिक पहले इसे आयुष मंत्रालय में जांच के लिए भेजा जाना चाहिए था। उन्होने कहा, पतंजलि आयुर्वेद को आयुष मंत्रायल से बिना किसी अप्रूवल मिले, जोर शोर से दवा का प्रचार नहीं करना चाहिए था। इसके आलावा उन्होंने बताया कि दवा के संबंध में पतंजलि योगपीठ को जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद ने कोरोनिल से संबंधित दस्तावेज भेज दिए हैं और इस पर जल्दी ही फैसला लिया जाएगा।

राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार ने कोरोनिल पर लगाया बेन
पतंजलि द्वारा बनाई गयी दवा पर महाराष्ट्र और राजस्थान सरकार ने मार्केट में आने से पहले ही बेन लगा दिया। महराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के मुताबिक जब तक कोरोनिल के क्लीनिकल ट्रायल के बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं हो जाती है, तब तक महाराष्ट्र में इस दवा की बिक्री पर प्रतिबंध बना रहेगा।
वहीं राजस्थान सरकार ने विवादित दवा कोरोनिल से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा, पतंजलि की ओर से किए गए क्लिनिकल ट्रायल्स के संबंध में सरकार को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गयी है, न तो इस बारे में किसी प्रकार की कोई सूचना दी गई थी।

इस पूरे मामले पर क्या बोले उत्तरखंड के सीएम
कोरोना वायरस की विवादित दवा कोरोनिल पर उत्तरांखड सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द सिंह रावत ने कहा, उन्होंने इस दवा के ट्रायल के बारे में कहीं पढ़ा कि इसके ट्रायल के नतीजे बहुत अच्छे रहे हैं। कोरोनिल से मरीज तीन दिन में 69% और एक सप्ताह में शत प्रतिशत ठीक हो जाते हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द रावत के मुताबिक हालाँकि इसके नतीजे वाकई अच्छे हैं लेकिन हर काम विधिवध होना चाहिए। उन्होने ये भी कहा कि हो सकता है इसे बनाने में कोई ‘प्रोसीजरल फॉल्ट’ रहा होगा।

पूरे मामले पर बालकृष्ण की सफाई
विवादित दवा कोरोनिल को लेकर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि लाइसेंस लेने के लिए उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया। उन्होने कहा कि हमने कोरोनिल दवा का कोई विज्ञापन नहीं किया है। हमने सिर्फ लोगों को इस दवा के प्रभाव के बारे में बताने का प्रयास किया है।

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