Ganesh ji ki kahani : गणेश जी की कहानी (Ganesha story in hindi).
pinks tea - July 23, 2021 1043 0 COMMENTS
Ganesh ji ki kahani…भक्तों के मन में हमेशा से गणेश जी की कहानी सुनने या पढ़ने को लेकर एक खास उत्साह देखने को मिलता है। गणेश जी का जीवन लीलाओं से भरपूर था और उनकी कई कहानियां बहुत लोकप्रिय भी हैं। जैसा की हम सभी जानते हैं हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में भी जाना जाता है। यही कारण है कि हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत से पहले विघ्नहर्ता गणेश जी की आरती जरूर की जाती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आएं हैं (Ganesh ji ki kahani in hindi) भगवान श्री गणेश जी की कहानी।
गणेश जी की कहानी (Ganesh ji ki kahani) – Ganesha story in hindi.
जैसा कि हमने आपको बताया विघ्नहर्ता गणेश जी कि कई कहानियां बहुत अधिक लोकप्रिय हैं। इन्ही में से कुछ कहानियां आज हम आपके लिए लेकर आये हैं। आईये जानते हैं इनके बारे में –

भगवान श्री गणेश जी की खीर वाली कहानी – Ganesh ji ki kahani
एक बार की बात है, गणेश भगवान एक छोटे बालक का रूप धारण कर पृथ्वी पर आते हैं और एक नगर मैं भ्रमण के लिए निकलते हैं। इस दौरान बाल गणेश एक चम्मच में थोड़ा सा दूध और एक चुटकी भर चावल लेकर नगर में इधर-उधर भ्रमण करने लगते हैं। इस दौरान उन्हें रास्ते में जो कोई व्यक्ति नजर आता उससे वह खीर बनाने का आग्रह करने लगते हैं। चुटकी भर चावल और एक चम्मच दूध को देख कोई भी उनकी तरह ध्यान नहीं देता और हस्ते हुए अपने काम करने लगते। लेकिन गणेश भगवान भी इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं थे वो निरंतर आगे बढ़ते रहे और जो भी उन्हें दिखा उससे वह खीर बनाने का आग्रह करने लगे।
अंत में एक गरीब बूढ़ी अम्मा से बालक का आग्रह ठुकराया नहीं गया और वह बोली बेटा चल मेरे साथ में तेरे लिए खीर बनाउंगी। बाल गणेश ख़ुशी-ख़ुशी बूढ़ी अम्मा के साथ उनके घर चल दिए। घर पहुंच कर बूढ़ी अम्मा ने उनसे दूध और चावल को मांग कर एक बर्तन में डाला और खीर बनानी शुरू कर दी। देखते ही देखते उस एक चम्मच दूध और चुटकी भर चावल से बर्तन भर खीर तैयार हो गयी। इतनी सारी खीर को देख बूढ़ी अम्मा हैरत में पढ़ गयी। जब वह खीर को निकाल कर बर्तन में भरने लगी तो देखते ही देखते घर के सारे बर्तन भर गए लेकिन जिस बर्तन में खीर बन रही थी वो अभी तक भरा हुआ था। यह देख बूढ़ी अम्मा आश्चर्यचकित हो गयी उन्होंने बाल गणेश से पूछा” बेटा इतनी सारी खीर बन गयी है कि घर के सभी बर्तन भर चुके हैं लेकिन खीर खत्म नहीं हो रही।
जानिये आँखिर क्यों होता है सावन के पहले सोमवार का इतना महत्व।
इतनी सारी खीर का हम क्या करेंगे?” इस पर बाल गणेश ने मुस्कराते हुए जवाब दिया कि “हे माँ सभी नगर वाशियों को घर पर खीर खाने के निमंत्रण दे आ”, बूढ़ी अम्मा ने बालक की बात का मान रखते हुए ऐसा ही किया और वो सभी नगर वाशियों को खीर खाने का निमंत्रण देने चले गयी। इस दौरान घर पर उसकी भूखी बहू भूख से व्याकुल होने लगी और इतनी सारी खीर को देख कर खुद को रोक नहीं पायी। उसने एक कांसे के बर्तन में खीर निकाली और गणेश भगवान को भोग लगाते हुए बोली “जय हो गणेश जी भगवान आपके भोग लगे” ऐसा कहते हुए उसने खीर खाना शुरू कर दिया। दूसरी तरह बुढ़िया का खीर खाने का न्यौता नगर वालों के गले नहीं उतर रहा था और वे सोचने लगे इसके पास तो खुद के खाने के पैसे नहीं होते भला ये पूरे गावं को खीर कैसे खिलाएगी? वे लोग बुढ़िया के बारे में तरह-तरह की बाते करने लगे।
इसके बाद शाम होते-होते सभी नगर वाशी उसके घर खीर खाने पहुचें, सब ने जी भर के खीर खायी। जब सभी लोग खीर खाकर वापस लौटे तो बूढ़ी अम्मा ने घर के बाहर बैठे बाल गणेश से कहा “चल बेटे सब लोग भरपेट खीर खाकर अपने घर जा चुके हैं, अब हम लोग भी खीर खा लेते हैं।” इस पर बाल गणेश ने मुस्कराते हुए बूढ़ी अम्मा से कहा “अम्मा में तो पहले ही खाना खा चूका हूँ”, जब तू गावं वालों को न्यौता देने गयी थी, तब तेरी बहू ने मुझे भोग लगाते हुए कहा “गणेश तेरे भोग लगे।” इस पर बूढ़ी अम्मा को अहसास हुआ कि उसके घर साक्षात् विघ्नहर्ता प्रभु गणेश पधारे हैं। बूढ़ी अम्मा का खुशी का ठिकाना नहीं रहा और गणेश जी ने भी प्रश्न होकर उन्हें खूब धन सम्पन्न कर, उनकी दरिद्रता को दूर दिया। हे गणेश भगवान जैसे आपने बूढ़ी अम्मा को धन ध्यान का आशीर्वाद दिया हम पर भी ऐसी ही कृपा दृष्टि डालें। उम्मीद करते हैं गणेश जी की कहानी (ganesh ji ki kahani in hindi) आपको पसंद आयी होगी।
करवा चौथ व्रत कथा – Karwa Chauth Vrat Katha
भगवान श्री गणेश जी की सास बहु वाली कहानी – Ganesh ji ki kahani
एक बार कि बात है एक गावं में एक बूढ़ी माई अपने बेटे और बहु के साथ रहती थी। एक बार उसका बेटा दूसरे गावं काम के सिलसिले से गया हुआ था। इस दौरान बूढ़ी माई की बहु सब कुछ अकेले ही बना कर खाने लगी और उसने अपनी सास को खाना-पीना देना बंद कर दिया। अपनी बूढ़ी सास को गुमराह करने के लिए वो थोड़ा सा खाना जमीन पर गिरा देती थी। जब भूख से व्याकुल सास भोजन लाने को कहती, तब बहु चूहों का बहाना लगा जमीन पर गिरा हुआ भोजन सास को दिखा देती और कहती माई मैंने तो आपके लिए भोजन बचा कर रखा हुआ था शायद चूहों ने गिरा दिया होगा।
बूढ़ी माई भगवान गणेश की परमभक्त थी और दिन रात गणेश भगवान की अर्चना में लीन रहती। इस दौरान एक बार बूढ़ी माई को अपने बेटे के वापस गावं लौटने की खबर मिली और वह ख़ुशी से भाव विभोर हो गयी। वहीं उसकी पत्नी ने सोचा की अगली सुबह पति के आने से पहले जल्दी उठ कर घर के सभी कार्य कर लूँगी और वह जल्दी सो गयी। वहीं गणेश जी ने सोचा कि यह रोज बूढ़ी माई के सामने मेरे चूहों पर जूठा आरोप लगा देती है और बुढ़िया को पूरे दिन भूखा रखती हैं क्यों न इसे सबक सिखाया जाए। बूढ़ी माई कि बहु रोज सोने से पहले अपनी साड़ी को खूंटी पर टांक कर सोती थी, हर रोज की तरह उस रात भी उसने ऐसा ही किया। दूसरी तरह गणेश जी ने चूहों को आदेश दिया की इसकी साड़ी को वह अपने बिल में छुपा लें। अगली सुबह जब बहुत उठी तो देखा खूंटी पर से उसकी साड़ी गायब थी।
करवा चौथ व्रत की कहानी | Karva Chauth Vrat Ki Kahani In Hindi.
घर का कोना कोना छान मार के बावजूद भी उसे साड़ी कहीं नजर नहीं आयी और वह उदास होकर जमीन पर बैठ गयी। इतने में उसका पति भी घर पहुंच गया था और अपनी माँ से मिलने के बाद वह पत्नी से मिलने के लिए जाने लगा। उसकी माँ ने बहु को आवाज लगाते हुए कहा “देख बहु मेरा बेटा आ गया है”, कमरे के अंदर बैठी बहु बोली “सासु माँ मेरी साड़ी नहीं मिल रही ऐसे में बाहर कैसे आऊं?” इतने में उसका पति दरवाजा खोल कर पत्नी से मिलने अंदर चले गया। उसने देखा उसकी पत्नी बिना साड़ी के ही जमीन पर बैठी है। पत्नी ने जब उसे बताया कि उसकी साड़ी कहीं खो गयी तो वह आग बबूला होकर पत्नी पर चिल्लाने लगा और बोला “झूठ बोलती है बंद कमरे से साड़ी अपने कैसे गायब हो सकती है।”
शोर शराबा सुन कर सासु माँ भी कमरे में आयी ,कमरे में पहुंचते ही उसकी नजर चूहों के बिल के पास पड़ी जिसमें से बहु के साड़ी का पल्लू नजर आ रहा था। सासु माँ ने अपने बेटे से बोला गुस्सा मत कर बेटे बहु सही कह रही थी, वो रही साड़ी चूहों के बिल के अंदर। यह देख बहु की आँखें भर आयी और उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। बहु ने बूढ़ी सासु माँ के पैर पकड़ लिए और कहने लगी “जैसी करनी वैसी भरनी।” “मेँ हर रोज चुपके से भोजन खा लेती थी और चूहों का नाम लगा देती थी” इसलिए गणेश जी ने मुझे सबक सिखाने के लिए यह सब लीला रची होगी। उस दिन के बाद से बूढ़ी सासु माँ की बहु भी भगवान गणेश की परम् भक्त बन गयी। ये थी गणेश जी कहानी (ganesh ji ki kahani in hindi), उम्मीद करते होंगे इससे आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा।
क्या आप जानते हैं? व्रत रखने से शरीर की बहुत सारी बीमारियाँ नष्ट हो जाती हैं।
अगर आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी तो कृपया अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों के साथ शेयर जरूर करें.
ऐसी महत्पूर्ण जानकारियों के लिए आज ही हमसे जुड़े :-
Instagram
Facebook
Twitter
Pinterest
RELATED ARTICLES
LATEST
कुतुब मीनार पर 10 लाइन
June 30, 2022मानसून के मौसम में कार
June 27, 2022वजन कम करने वाले फल
June 19, 2022चंद्रशेखर आजाद पर 10 लाइन
June 14, 2022त्वचा के लिए नीम के
June 11, 2022घर से कीड़े-मकोड़ों को भागने
June 9, 2022पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने
June 5, 2022फुटबॉल पर 10 लाइन निबंध
June 1, 2022हॉकी पर 10 लाइन निबंध
May 26, 2022पपीता शेक बनाने की रेसिपी
May 25, 2022