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धनतेरस 2019: जानिए धनतेरस, तिथि शुभ महूर्त एवं पूजा का तरीका।

धनतेरस 2019 आने ही वाला है, इस साल धनतेरस (2019) का पर्व दिनाँक 25 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जायेगा। धनतेरस का यह पर्व हर वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। हिन्दू रीती रिवाज में धनतेरस के पर्व पर कुछ ना कुछ नए बर्तन खरीदने का रिवाज है खासकर सोने या चांदी से बने बर्तनों को। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के पर्व पर नए कुछ ना कुछ नया सामान खरीदने पर धन संपदा में वृद्धि होती है।

धनतेरस के इस पावन पर्व पर भगवान धनवंतरी एवं माता लक्ष्मी की आरती की जाती है। आपको बता दें कि हमारे प्राचीन वेदों के अनुसार आज के ही दिन जब देवताओं और असुरों के मध्य समुद्र मंथन किया जा रहा था तब इसमें से भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत से भरा एक सोने का कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिसे पीकर सभी देवता अमर हो गए थे।

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धनतेरस पर कैसे करें भगवान धनवंतरी की पूजा –

सबसे पहले घर के मंदिर की साफ सफाई करें फिर मंदिर में गंगा जल का छिड़काव करें।

मिटटी से बना हाथी और भगवान धनवंतरी की फोटो को मंदिर में स्थापित करें।

शुद्ध चांदी या तांबे की आचमनी से जल लेकर तीन बार आचमन करें।

श्रीगणेश का ध्यान व पूजन करें।

हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर भगवान धन्वंतरि का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें…
“देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि”

धनतेरस 2019 महूर्त –

धनतेरस तिथि – शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

धनतेरस पूजन मुर्हुत – शाम 07:08 बजे से रात 08:14 बजे तक

प्रदोष काल – शाम 05:39 से रात 08:14 बजे तक

वृषभ काल – शाम 06:51 से रात 08:47 बजे तक

दीवाली (diwali) पर ऐसे करें घर की साफ सफाई, माँ लक्ष्मी का होगा घर में वाश।

धनवंतरि भगवान की आरती –

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।

देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।

आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।

असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।

वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।

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