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गौतम बुद्ध पर 10 लाइन निबंध – 10 lines on gautam buddha in hindi.

10 lines on gautam buddha in hindi…प्यारे बच्चों कैसे हो आप लोग आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं गौतम बुद्ध पर 10 लाइन निबंध। स्कूल में पड़ने वाले हमारे सभी प्यारे क्षात्रों के लिए आज का यह निबंध बेहद खास होने वाला है। अक्सर स्कूल में होने वाली परीक्षा पत्र में आपको गौतम बुद्ध पर 10 लाइन निबंध लिखने को कहा जा सकता है। इसलिए यह निबंध आपको हमेशा याद होना चाहिए। बच्चों गौतम बुद्ध के बारे में आपको बता दें कि ये वो महान शख्सियत थे जिन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। गौतम बुद्ध एक शांतिप्रिय इंसान थे जो सदैव अहिंसा के मार्ग पर चलना पसंद करते थे। बुध ने अपनी युवावस्था में ही घर परिवार को त्याग कर सन्यास धारण कर लिया था। कई वर्षों तक इन्होनें पीपल के वृक्ष के नीचे कठोर तप किया और वहीं इन्हें ज्ञान की प्राप्त हुई। इस ज्ञान को गौतम बुध ने समूचे विश्व में बांटना शुरू किया और धीरे-धीरे कई लोग इनके अनुयायी बनते चले गए। इस प्रकार से गौतम बुध ने सर्वप्रथम बुध धर्म की नीव रखी। आज पूरे विश्व में कई लोग ऐसे जो बोध धर्म को अपनाते हैं। आईये जानते हैं परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के लिए गौतम बुद्ध पर 10 लाइन निबंध (10 lines on gautam buddha in hindi) लिखने का तरीका।

गौतम बुद्ध पर 10 लाइन निबंध
courtesy google

गौतम बुद्ध पर 10 लाइन निबंध – 10 lines on gautam buddha in hindi.

  1. गौतम बुध का जन्म एक क्षत्रिय परिवार में आज से 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुंबिनी स्थान पर हुआ था।
  2. गौतम बुद्ध की माता का नाम माया देवी और पिता का नाम शुद्धोधन था।
  3. गौतम बुद्ध के जन्म के 7 दिन पश्च्यात ही इनकी माता का स्वर्गवास हो गया था।
  4. गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
  5. गौतम गौत्र में जन्म लेने के कारण इनका नाम आगे चलकर गौतम बुद्ध पड़ा था।
  6. सिद्धार्थ को प्रारंभिक शिक्षा देने वाले गुरु का नाम विश्वामित्र था।
  7. सिद्धार्थ का लालन-पालन इनकी मौसी तथा सौतेली माँ ने किया था
  8. सिद्धार्थ का विवाह 16 वर्ष की अल्पायु में यशोधरा नाम की कन्या से हुआ जिससे उन्हें राहुल नाम के पुत्र की प्राप्ति भी हुई।
  9. 29 वर्ष में गौतम बुद्ध ने अपने घर परिवार को त्याग कर सन्यास ले लिया था। वो बिना किसी को बताए ही घर से चले गए थे।
  10. गौतम बुद्ध ने बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे 6 वर्ष की कठिन तपस्या की तब जाकर उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। यहीं से इन्होंने बौद्ध धर्म की नीव रखी।

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